सत्-चित्-वेदनामय है जीवन! वेदना विषमता से प्रसूत है, जो नैसर्गिक नहीं, हमारे द्वारा निर्मित समाजार्थिक/ सांस्कृतिक ढाँचे की देन है । हम इस ज़मीनी हक़ीकत को समझें और इस की बुनियाद में रचनात्मक बदलाव लाने हेतु सजग-संलग्न रहें! ताकि, इस स्वच्छन्द खिलावट का जन्मसिद्ध अधिकार हर नर-नारी को उपलब्ध हो; न कि चन्द लोगों का विशेषाधिकार बन कर रह जाए!
जीवन-दर्शन के सूत्र
रविवार, 26 सितंबर 2021
शुक्रवार, 17 सितंबर 2021
गुरुवार, 16 सितंबर 2021
‘जनसंख्या-समस्या के स्त्री-पाठ के रास्ते ’ पुस्तक का लिंक
https://drive.google.com/drive/my-drive
‘जनसंख्या-समस्या के स्त्री-पाठ के रास्ते ’ पुस्तक (पी.डी.एफ़.) का लिंक
https://drive.google.com/file/d/1GBrUc8ljSnAKZtoNU9uLSoz6GSSLEcRu/view?usp=sharing
‘हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिज’ (हिन्दी व्याकरण की सैद्धान्तिकी) पुस्तक का लिंक
‘हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिज’ (भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली / २०१०)
पी.डी.एफ.
https://epustakalay.com/book/231224-hindi-vyakaran-ke-navin-kshitij-by-dr-ravindra-kumar-pathak/
‘समान्तर दृष्टि की राह (रचनात्मक एवं वैचारिक परिदृश्य का स्त्री-विवेक) पुस्तक का लिंक
‘समान्तर दृष्टि की राह’
(रचनात्मक एवं वैचारिक परिदृश्य का स्त्री-विवेक)
यश प्रकाशन प्रा.लि., दिल्ली / २०१३
पुस्तक का लिंक
https://epustakalay.com/book/231231-samantar-drishti-ki-rah-by-dr-ravindra-kumar-pathak/